SSC Stenographer Grade D 80 WPM 800 Words Hindi dictation audio pdf free download

80 WPM 800 Words Hindi dictation 10 minute audio pdf for SSC Stenographer Grade D

Download 80 WPM 800 words 10 minutes Hindi shorthand audio dictation for SSC Stenographer Grade D Exam Skill test. कर्मचारी चयन आयोग की आशुलिपिक ग्रेड डी परीक्षा हेतु 80 शब्द प्रति मिनट की गति से 10 मिनट 800 शब्दों का श्रुतलेख डाउनलोड करें। 90 wpm Hindi dictation 10 minutes

​महोदय, मैने कृषि के बारे में कुछ विस्तार से बातें की हैं, क्योंकि उसे हमारे आर्थिक विकास के अंतर्गत प्रमुख स्थान मिला हुआ है। लेकिन, उद्योगों के क्षेत्र में ऋण-व्यवस्था के मामले में, चाहे छोटे उद्यमियों के लिए ऋण हो या बड़े उद्योगपतियों के लिए, हमें सावधान रहना होगा और नए दृष्टिकोण को अपनाना होगा। जिस उद्देश्य के लिए ऋण दिया जाना हो, इसमें उसकी साख पर जोर होना चाहिए। बैकों को अपनी नई योजनाओं का तकनीकी, आर्थिक और वित्तीय मूल्यांकन करने के लिए. तैयार करना होगा । उन्हें बाजार-बिक्री की भविष्य की संभावनाओं और आयोजन संबद्ध ताजा से ताजा सर्वेक्षण करना चाहिए। उन्हें प्रबंध प्रबंधी आधुनिक उपाय और विधियाँ अपनानी चाहिए। संक्षेप में, उन्हें एक व्यापक परिप्रेक्ष्य में गतिशील अर्थव्यवस्था की जरूरतों का आकलन और निर्णय करने में सक्षम होना चाहिए और उसे . वांछनीय तकनीकी और वित्तीय समर्थन देना चाहिए ।

मैं जानती हूँ कि इन कामों के लिए बहुत उच्च कोटि की व्यवसाय पटुता और प्रबंध-कुशलता की आवश्यकता होगी। इसके लिए हमें अपनी आवश्यकता को ‘ देखकर समुचित प्रशिक्षण की व्यवस्था करनी होगी । कुछ क्षेत्रों में भय पाया जाता है कि राष्ट्रीयकृत बैंकों में शिष्ट व्यवहार और कार्यकुशलता का अभाव रहेगा। मैं आशा करती हूँ कि यह भय निराधार होगा। बैंक कर्मचारियों – राष्ट्रीयकरण का बड़ी गर्मजोशी से स्वागत किया है। यह सुनिश्चित करना उनकी विशेष जिम्मेवारी है कि अच्छी सेवा का पिछला कीर्तिमान न केवल बना रहे, बल्कि बेहतर बने ।

मुझे प्रसन्नता है कि मुझे आपसे मिलने का यह अवसर मिला और मैं आपके सम्मुख अपने कुछ विचार रख सकी। आने वाले वर्षों में आपका योगदान बड़े महत्व का होगा, क्योंकि आप हमारे आर्थिक विकास के स्वरूप और गति को बड़ी सबलता से प्रभावित करेंगे। मुझे आशा है। कि आप आयोजन की प्रक्रिया और हमारे सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए पहले से भी अधिक सचेत भाव से तथा पूरे मन से प्रतिबद्धता अनुभव करेंगे। हम सब राष्ट्रीय जीवन में बैंकों के महत्व से परिचित हैं और निःसंदेह निजी क्षेत्र के बैंकों का वर्चस्व बना रहेगा और देश को उनसे मूल्यवान सेवाओं की आशा है। लेकिन यहाँ एकत्रित आप सबकी विशेष जिम्मेवारी है। मैं कई अवसरों पर राष्ट्रीयकरण के बारे में बोल चुकी हूँ और मैं समझती हूँ कि मैंने जो कुछ कहा है, वह सही तौर पर आपके मन बसा है और आप उसे सफल बनाएँगे। 

महोदय, में राष्ट्रीयकरण के उस पक्ष पर इसके सिवा और कुछ नहीं कहना चाहूँगी, क्योंकि विशेषज्ञों के रूप में आपने स्वयं ही पिछले वर्षों में देखा होगा कि हमारी मुद्रा व्यवस्था में कौन-सी बातें है जो कमजोरी और उदासीनता को जन्म देने वाली है और वे क्या परिस्थितियाँ  है जिनके कारण हमारी वित्तीय संस्थाएँ अभी तक देश के बड़े भागों को समुचित रूप में सेवा नहीं कर पा रही है। अखबारों के अलावा अन्यत्र भी यह शिकायत मिलती रही। है कि बैकों के राष्ट्रीयकरण के बाद अब उनकी कार्य प्रणाली पर राजनैतिक प्रभाव पड़ सकता है। कुछ समय से यह देखने में आ रहा है कि हमारे बहुत-से पुराने विचारों की जगह नए विचार ले रहे है और ऐसा परिवर्तन तभी आ सकता है। जब सार्वजनिक स्वामित्व और नियंत्रण स्थापित हो। 5 राजनीति को जीवन के अन्य अंगों से अलग कर सकना बहुत कठिन होता है। लेकिन यह बात न केवल यहाँ, बल्कि इंग्लैंड जैसे देशों में स्वीकृत की जाती रही है। एक अंग्रेजी पत्र के कथन का मैने संसद में भी उदाहरण दिया है कि जो कोई भी चाहता है कि परिस्थिति बनी रहे, वह गैर-राजनैतिक माना जाता है।

हालांकि, ऐसी मान्यता भी राजनीति का ही अंग है, जबकि जो व्यक्ति परिवर्तन चाहता है उसे राजनैतिक व्यक्ति माना जाता है। ये दोनों ही रवैये राजनैतिक होते है। ऐसा नहीं है कि एक अधिक राजनैतिक होगा और दूसरा कम। बैंकों का अर्थव्यवस्था के विकास से निकट का संबंध होता है और इसीलिए वे राजनैतिक परिस्थितियों से सर्वथा अछूते  नहीं रह सकते। हमारे देश की वर्तमान राजनैतिक स्थिति की मांग है कि बैंकिंग सुविधाओं का अधिकाधिक विस्तार पिछड़े क्षेत्रों में कृषि, लघु उद्योगों आदि के लिए हो और शायद बैंकिंग के कारोबार को बृहत्तर सामाजिक उद्देश्यों से जुड़ा होना चाहिए। लेकिन अगर राजनैतिक प्रभाव का यही आशय है, तो यह राजनैतिक प्रभाव निश्चय ही उपस्थित है। अगर आलोचकों का उससे यह अभिप्राय है कि अपने प्रतिदिन के कामों में बैंकों का काम देखने वालों पर ऐसी बाहरी बातों का प्रभाव पड़ सकता है जिनका सार्वजनिक हित से या आर्थिक विकास से कोई रिश्ता न हो, तो मुझे आपको यह आश्वासन देते हुए कोई हिचक नहीं है कि जब तक इन कामों का भार मुझ पर है, तब तक आपके काम में ऐसी बातों को आड़े नहीं आने दिया जाएगा।

800 शब्द – 80 शब्द प्रति मिनट – 10 मिनट आशुलिपि श्रुतलेख


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